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नींबू खूब सजाए / दिविक रमेश

नींबू मेरा खूब सयाना
उस पर नीबू आए।
हर टहनी ने देखो भैया
नींबू खूब सजाए।

अभी तो छोटे ओर हरे हैं
प्यारे-प्यारे नींबू।
पकने पर ही हम तोड़ेंगे
अपने प्यारे नींबू।

पर थोड़ा शैतान भी है न
नींबू का यह पौधा!
चुभा के कांटे हंसता है न
नींबू का यह पौधा!