भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नीर प्रिय लागे जमुना तेरो / जुगलप्रिया

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:17, 20 नवम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जुगलप्रिया |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatP...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नीर प्रिय लागे जमुना तेरो।
जा दिन दरस परस ना पाऊँ बिकल होत जिय मेरो॥
नित्य नहाऊँ तब सुख पाऊँ होत अलिन सों भेरो।
जुगल प्रिया घट भरि कर लीन्हें सदाचित चेरो॥