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नीले मकान / होर्खे लुइस बोर्खेस / धर्मवीर भारती

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जहाँ सेन जुआन और चाकावुकों का संगम होता है
मैंने वहाँ नीले मकान देखे हैं
मकान : जिनपर खानाबदोशी का रंग है
वे झण्डों की तरह लहरा रहे हैं
पूर्व — जो अपने आधीनों को स्वतन्त्र कर देता है — की तरह गम्भीर हैं

कुछ पर उषा के आकाश का रंग है
कुछ पर तड़के के आकाश का रंग
घर के किसी भी उदास अन्धेरे कोने के सामने
उनका तीव्र भावनात्मक आलोक जगमगा उठता है
मैं उन लड़कियों के बारे में सोच रहा हूँ जो
तपते हुए आँगन में से आकाश की ओर देख रही होंगी
उनकी चम्पई बाँहें और
काली झालरें
शरबत के गिलासों-सी उनकी लाल आँखों में अपनी
छाया देखने का उल्लास
मकान के नीले कोने पर
एक अभिमान भरे दर्द की छाप है
मैं लोहे का दरवाज़ा खोलकर
भीतरी सहन को पार कर
घर के अन्दर पहुँचूँगा
कक्ष में एक लड़की — जिसका हृदय मेरा हृदय है —
मेरी प्रतीक्षा में होगी
और हम दोनों को एक प्रगाढ़ आलिंगन घेर लेगा
हम आग की लपटों की तरह काँप उठेंगे
और फिर उल्लास की बेताबी
धीरे-धीरे
घर की मृदुल शान्ति में खो जाएगी ।