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नुगरौ / रामस्वरूप किसान

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कित्तौ नुगरौ है आदमी
कित्तौ ई दे दयो
गुण कोनी
धाप कोनी

जद तांईं
दूध दियौ गा-भैंस
पीयौ
अर जद टळी
प्लेट में घाल‘र खायग्यौ

जद तांईं
हळ बग्यौ
ऊंट
बा‘यौ
अर होंवतां ई बूढ़ौ
सौ-दो सौ पकड़या‘र
ट्रक चढ़ा दियौ

आखी उमर बैठ्यौ
दरख्त री छियां
थोड़ी-सी जरूरत पड़ी लकड़ी री
ढा दियौ

जीवां नै जिन्स मान
नान्है बाढै
बरतै आदमी।