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नुमू-पज़ीर हूँ हर दम कि मुझ में दम है अभी / अता तुराब

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नुमू-पज़ीर हूँ हर दम कि मुझ में दम है अभी
मिरा मक़ाम है जो भी वो मुझ से कम है अभी

तराश ओर भी अपने तसव्वुर-ए-रब को
तिरे ख़ुदा से तो बेहतर मिरा सनम है अभी

नहीं है ग़ैर की तस्बीह का कोई इम्काँ
मिरे लबों पे तो ज़िक्र-ए-मनम मनम है अभी

‘तुराब’ कहाँ होता है ये ख़ुदा का ख़ला
मिरे वजूद के अंदर कहीं अदम है अभी