भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नेता जी लगे मुस्कुराने / अशोक चक्रधर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=चुटपुटकुले / अशोक चक्रधर
 
|संग्रह=चुटपुटकुले / अशोक चक्रधर
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 +
एक महा विद्यालय में
 +
नए विभाग के लिए
 +
नया भवन बनवाया गया,
 +
उसके उद्घाटनार्थ
 +
विद्यालय के एक पुराने छात्र
 +
लेकिन नए नेता को
 +
बुलवाया गया।
  
एक महा विद्यालय में <br>
+
अध्यापकों ने
नए विभाग के लिए<br>
+
कार के दरवाज़े खोले
नया भवन बनवाया गया,<br>
+
नेती जी उतरते ही बोले—
उसके उद्घाटनार्थ<br>
+
यहां तर गईं
विद्यालय के एक पुराने छात्र<br>
+
कितनी ही पीढ़ियां,
लेकिन नए नेता को<br>
+
अहा !
बुलवाया गया।<br><br>
+
वही पुरानी सीढ़ियां !
 +
वही मैदान
 +
वही पुराने वृक्ष,
 +
वही कार्यालय
 +
वही पुराने कक्ष।
 +
वही पुरानी खिड़की
 +
वही जाली,
 +
अहा, देखिए
 +
वही पुराना माली।
  
अध्यापकों ने<br>
+
मंडरा रहे थे
कार के दरवाज़े खोले<br>
+
यादों के धुंधलके
नेती जी उतरते ही बोले—<br>
+
थोड़ा और आगे गए चल के—
यहां तर गईं<br>
+
वही पुरानी
कितनी ही पीढ़ियां,<br>
+
चिमगादड़ों की साउण्ड,
अहा !<br>
+
वही घंटा
वही पुरानी सीढ़ियां !<br>
+
वही पुराना प्लेग्राउण्ड।
वही मैदान<br>
+
छात्रों में
वही पुराने वृक्ष,<br>
+
वही पुरानी बदहवासी,
वही कार्यालय<br>
+
अहा, वही पुराना चपरासी।
वही पुराने कक्ष।<br>
+
नमस्कार, नमस्कार !
वही पुरानी खिड़की<br>
+
अब आया हॉस्टल का द्वार—
वही जाली,<br>
+
हॉस्टल में वही कमरे
अहा, देखिए<br>
+
वही पुराना ख़ानसामा,
वही पुराना माली।<br><br>
+
वही धमाचौकड़ी
 +
वही पुराना हंगामा।
 +
नेता जी पर
 +
पुरानी स्मृतियां छा रही थीं,
 +
तभी पाया
 +
कि एक कमरे से
 +
कुछ ज़्यादा ही
 +
आवाज़ें आ रही थीं।
 +
उन्होंने दरवाजा खटखटाया,
 +
लड़के ने खोला
 +
पर घबराया।
 +
क्योंकि अंदर एक कन्या थी,
 +
वल्कल-वसन-वन्या थी।
 +
दिल रह गया दहल के,
 +
लेकिन बोला संभल के—
 +
आइए सर !
 +
मेरा नाम मदन है,
 +
इससे मिलिए
 +
मेरी कज़न है।
  
मंडरा रहे थे<br>
+
नेता जी लगे मुस्कुराने
यादों के धुंधलके<br>
+
वही पुराने बहाने</poem>
थोड़ा और आगे गए चल के—<br>
+
वही पुरानी<br>
+
चिमगादड़ों की साउण्ड,<br>
+
वही घंटा<br>
+
वही पुराना प्लेग्राउण्ड।<br>
+
छात्रों में<br>
+
वही पुरानी बदहवासी,<br>
+
अहा, वही पुराना चपरासी।<br>
+
नमस्कार, नमस्कार !<br>
+
अब आया हॉस्टल का द्वार—<br>
+
हॉस्टल में वही कमरे<br>
+
वही पुराना ख़ानसामा,<br>
+
वही धमाचौकड़ी<br>
+
वही पुराना हंगामा।<br>
+
नेता जी पर<br>
+
पुरानी स्मृतियां छा रही थीं,<br>
+
तभी पाया <br>
+
कि एक कमरे से <br>
+
कुछ ज़्यादा ही<br>
+
आवाज़ें आ रही थीं।<br>
+
उन्होंने दरवाजा खटखटाया,<br>
+
लड़के ने खोला<br>
+
पर घबराया।<br>
+
क्योंकि अंदर एक कन्या थी,<br>
+
वल्कल-वसन-वन्या थी।<br>
+
दिल रह गया दहल के,<br>
+
लेकिन बोला संभल के—<br>
+
आइए सर !<br>
+
मेरा नाम मदन है,<br>
+
इससे मिलिए<br>
+
मेरी कज़न है।<br><br>
+
 
+
नेता जी लगे मुस्कुराने<br>
+
WAHI PURANE BAHANE
+

12:33, 25 अगस्त 2022 के समय का अवतरण

एक महा विद्यालय में
नए विभाग के लिए
नया भवन बनवाया गया,
उसके उद्घाटनार्थ
विद्यालय के एक पुराने छात्र
लेकिन नए नेता को
बुलवाया गया।

अध्यापकों ने
कार के दरवाज़े खोले
नेती जी उतरते ही बोले—
यहां तर गईं
कितनी ही पीढ़ियां,
अहा !
वही पुरानी सीढ़ियां !
वही मैदान
वही पुराने वृक्ष,
वही कार्यालय
वही पुराने कक्ष।
वही पुरानी खिड़की
वही जाली,
अहा, देखिए
वही पुराना माली।

मंडरा रहे थे
यादों के धुंधलके
थोड़ा और आगे गए चल के—
वही पुरानी
चिमगादड़ों की साउण्ड,
वही घंटा
वही पुराना प्लेग्राउण्ड।
छात्रों में
वही पुरानी बदहवासी,
अहा, वही पुराना चपरासी।
नमस्कार, नमस्कार !
अब आया हॉस्टल का द्वार—
हॉस्टल में वही कमरे
वही पुराना ख़ानसामा,
वही धमाचौकड़ी
वही पुराना हंगामा।
नेता जी पर
पुरानी स्मृतियां छा रही थीं,
तभी पाया
कि एक कमरे से
कुछ ज़्यादा ही
आवाज़ें आ रही थीं।
उन्होंने दरवाजा खटखटाया,
लड़के ने खोला
पर घबराया।
क्योंकि अंदर एक कन्या थी,
वल्कल-वसन-वन्या थी।
दिल रह गया दहल के,
लेकिन बोला संभल के—
आइए सर !
मेरा नाम मदन है,
इससे मिलिए
मेरी कज़न है।

नेता जी लगे मुस्कुराने
वही पुराने बहाने