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नोकझोंक / प्रतिमा त्रिपाठी

1.
न मिलते हो, न दिखते हो, न कुछ बात करते हो
बस यूँ ही जताते हो के .. प्यार करते हो
अभी आओ, यहाँ यहाँ बैठो, कुछ बोल दो जानाँ
फिर चाहे तो मत कहना कि .. प्यार करते हो।

तुम्हारे साथ की बातें बेतरह याद आती हैं
दिन याद आते हैं, सितारा रातें याद आती हैं
बेचैन दुपहरिया, लजीली शामें याद आती हैं
मौसम अब भी समझते हैं सारे के हम प्यार करते हैं।

जानते हो, ये फ़र्क है बड़ा.. मुझमें और तुममें
के फ़ुर्सत देख कर तुम में मेरी याद कसमसाती है
हो मसरूफ़ अगर तुम तो मुझको भूल जाते हो
और मुझमें बेवक़्त, बेवजह तुम्हारी याद बनी रहती।

होना नहीं चाहिए मगर मुझे अफ़सोस है जानाँ
के तुम्हारी हालत इस मुआमले में मुझसे बेहतर हैं।
के मुझे कहना नहीं चाहिए मगर कहना पड़ता है
के मुकाबिल में मुझको प्यार तुमसे कुछ जियादह है,
तुम्हें कुछ कम कम सा रहता है.. कम कम सा.. रहता
फिर भी बड़े वज़न से कहते हो के प्यार करते हो।

2.
तुम्हारे पाँव की मोच अक्सर मेरे पैरों में दुखती है
तुम्हारे घाव सारे, मेरे ज़िस्म में दाग से पैबस्त मिलते हैं
तुम्हारे दर्द का दरिया मेरी आँखों को खारा रक्खे है
और क्या सुबूत, क्या गवाहियाँ दे कोई के ..प्यार करते हैं।

मेरी मिट्टी तुम्हारी खुशबू से तर बतर रहती
मेरे पते पर नाम सिर्फ़ तुम्हारा मिलता है
सारी दुनिया के लोग भले बनते होंगे अनासिर से
वजूद मेरा तुमसे से है, न हो तुम तो ख़ाक हूँ केवल

क्यों न ज़ाहिर करें फिर बार- बार के प्यार करते हैं।