भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

न्यूटन का तीसरा नियम / अनामिका अनु

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:43, 22 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनामिका अनु |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम मेरे लिए
शरीर मात्र थे
क्योंकि मुझे भी तुमने यही महसूस कराया।

मैं तुम्हारे लिए
आसक्ति थी,
तो तुम मेरे लिए
प्रार्थना कैसे हो सकते हो ?

मैं तुम्हें
आत्मा नहीं मानती,
क्योकिं तुमने मुझे अंत:करण नहीं माना ।

तुम आस्तिक
धरम-करम मानने वाले,

मैं नास्तिक !
न भौतिकवादी, न भौतिकीविद

पर फिर भी मानती हूँ
न्यूटन का तीसरा नियम —
क्रिया के बराबर प्रतिक्रिया होती है,
और हम विपरीत दिशा में चलने लगे…।