भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

न आदमी न कुत्ता / सरोज कुमार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घर में कुत्ते न घुसें
इसलिए मेरे पड़ोसी ने
एक आदमी रख छोड़ा!
और घर में आदमी न घुसे
इसलिए दूसरे ने
एक कुत्ता रख छोड़ा!

मैं न आदमी रख पाया
न कुत्ता
फिर भी मेरे यहाँ
कोई नहीं घुसा

घुसने वालों ने सोचा होगा-
कि ऐसे के यहाँ भी क्या घुसना
जिसके दरवाजे पर
न आदमी है न कुत्ता!