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न पूछ मुझ से ये सारा जहान किस का है / रविंदर कुमार सोनी

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न पूछ मुझ से ये सारा जहान किस का है
ज़मीन किस की है और आसमान किस का है

रह ए हयात में देखो क़दम न रुक जाएं
वो दूर धुन्दला-सा मिटता निशान किस का है

हवा ए तुन्द भी जिस को न कर सकी बरबाद
वो रेगज़ार के दिल में मकान किस का है

भँवर की लहर में क्यूँ अब वो इज़्तराब नहीं
पहुँच गया जो किनारे गुमान किस का है

ये कौन मुझ से मुख़ातिब हुआ पस ए परदा
बताऊँ क्या मिरा दिल पासबान किस का है

उदास क्यूँ हो, रवि आओ पूछ लें दिल से
यक़ीन किस का है उस को गुमान किस का है