न बारे-दर्दो-ग़म इतना उठाओ
ज़रा-सी जान पर मत ज़ुल्म ढाओ
किसी को चाहने की शर्त है यह
उसी की याद में बस डूब जाओ
है जिसको देखने की इतनी चाहत
बनाओ उसको आइना बनाओ
सजावट लाज़िमी है ज़िंदगी में
सजो खुद साथ औरों को सजाओ
फ़ना क्या है समझना हो जो 'दरवेश'
उठो, और दाव पर खुद को लगाओ