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पंचयात कौ ताव अलग है / महेश कटारे सुगम

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पंचयात कौ ताव अलग है
जौ तौ सुनौ चुनाव अलग है

एम०एल०ए० संसद कौ नईंयाँ
सरपंची कौ भाव अलग है

दारू मुर्गा पैसा के संग
और जाल फैलाव अलग है

एक-एक वोटन के लानें
लोगन कौ उलझाव अलग है

मुर्दा गड़े उखर कें आवें
अपनौ-अपनौ घाव अलग है

धोबी पाट टंगडिया कैंची
सबकौ अपनौ दाँव अलग है

आन-बान है कोउ के लानें
कोउ कौ कितऊँ झुकाव अलग है