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"पंचायती / इरशाद अज़ीज़" के अवतरणों में अंतर

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साच तो आ है कै
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जे थनैं बगत मिलै
जिकी म्हैं कैवूं
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तो कदैई आपो आप सूं
म्हारी सोच्योड़ी बात
+
बंतळ कर
कदैई गळत नीं हो सकै
+
अर सोध बां सवालां रा जबाब
माफ करजै भायला!
+
जिका लोग थनैं पूछै
थूं जिको कैवै अर समझै
+
तो थूं आपै सूं बारै आ जावै
बो सौ-कीं गळत है
+
पंचायती करण रो
बो आपरी समझदारी सूं  
+
इतरो ई कोड है तो
बोलतो रैयो अर
+
कर थारै मांय उठतै
म्हैं उणनै देख‘र
+
थारै ई खिलाफ
औ ईज सोचतो रैयो कै
+
विचारां रै बिचाळै
कांई अैड़ा लोग भी
+
जिकां सूं थूं भाजतो अर  
कवि हुवण रो दम भरया करै
+
औला लेंवतो फिरै।
जिकां रै हिवड़ै मांय
+
सिवाय जळण अर नफरत रै
+
कीं नीं है
+
जीसा कैवता हा-
+
मिनख कीं भी बण जावै
+
पण सै सूं पैली
+
चोखो मिनख बणनो जरूरी है
+
जिको चोखो मिनख होसी
+
बो सै कीं चोखो ई करसी।
+
 
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17:12, 15 जून 2020 के समय का अवतरण

जे थनैं बगत मिलै
तो कदैई आपो आप सूं
बंतळ कर
अर सोध बां सवालां रा जबाब
जिका लोग थनैं पूछै
तो थूं आपै सूं बारै आ जावै
पंचायती करण रो
इतरो ई कोड है तो
कर थारै मांय उठतै
थारै ई खिलाफ
विचारां रै बिचाळै
जिकां सूं थूं भाजतो अर
औला लेंवतो फिरै।