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पंडवानी की लय पर / विपिन चौधरी

हमने सहर्ष इतिहास को गवाह बनाया
इतिहास ने हमसे कुछ ज्यादा ही छिपाया
उसने अपनी सुविधानुसार ही मुंह खोला

हमारी जिज्ञासा अपने चरम पर थी
तलाशने निकल पड़े हम
इतिहास की खाद में
जर्जर मीनारों को
खोद डाले हड़प्पा में दबे अवशेष
हमारी राह में आए भारी भरकम जीवाश्म
विशाल डायनासोर जंगली पेड़-पादप
समय-समय पर हमने कई सभ्यताओं
का पानी भी पिया

हमने कई आकार-प्रकार के फ्रेम बनाए
और डार्क रूप में जाकर वहां
कुछ तस्वीरें साफ करने की भरपूर कोशिश की
तब भी मामला साफ नहीं बैठा

हम इतिहास और वर्तमान के बीच के मर्म
को नज़दीक से देखना समझना और महसूस करना चाहते थे
इतिहास का निरक्षर बयान बिना किसी हेर-फेर
सीधे वर्तमान में उतर आया जब हमने
पंडवानी गाती तीजन
की ओर रुख किया

वहां तीजन के चेहरे पर इतिहास की
तुड़ी-मुड़ी सिलवटें और
वर्तमान के दुख की तपिश साफ दिखाई दी
जब एक कलाकार
महज़ तेरह के आंकड़े से
घूम-घूमकर दुशासन के कृत्यों का
पांडवों की कायरता का
द्रौपदी के चीरहरण का बयान कर रहा होता है
तो इतिहास हमें अलग तरीके से सोचने पर विवश करता है
किसी महान व्याख्या से परे
तीजन की संगीतमयी कथा सुनते हुए
जो भी भीतर घटता है वह
बेहद सीमित दायरे का मामला होता है
सुनने वालों के भीतर एक तरंग उठती है और
उठकर दुनियादारी में खो जाती है
अपनी धुरी पर चक्कर काटती हुई धरती
को फर्क नहीं पड़ता
ना ही आज के दुर्योधन शर्मसार होते हैं

जब वह लंबे मगर स्थिर कदमों से चलते हुए
पंडवानी गाती हैं तो
शर्तिया स्वयं भी
यह समझने की भरपूर कोशिश करती है कि
चौसर के आसपास
बिखरी हुई पांडवों की इस शौर्य-गाथा का
ये कैसा स्तर है?

अपने खुद के तीन-तीन संबंधों के टूटने का दर्द
जब कहीं दूर नहीं जा सका तो उसे तीजन
ने पंडवानी के सुर-ताल-लय के
आस-पास ही जगह दे दी क्योंकि इतिहास और
वर्तमान दोनों तरफ के दुखों को आत्मसात करके
वे अच्छी तरह समझ गई हैं कि
दुखों के पार जाने का उपाय
महाभारत काल में भी नहीं था
आज के इस विवाहित समय में भी नहीं है

यह अनायास ही नहीं है कि
अपने औरत होने का दर्द
द्रौपदी के साथ हुए अपमान में सिमट आता है तब
तीजन की आवाज़ और तेज़ हो जाती है
संगतकारों की हओ-हओ और तम्बूरा
हरमोनियम तबला डमरू की मीठी आवाज़ के साथ
जब एक स्त्री घूम-घूमकर पुरुषों की
तथाकथित परंपरा का पाखंड तोड़ने का साहस करती है
तो इक चिंगारी का जन्म होता है कहीं,
जिन्हें सदियों से पीड़ा ही सींचती औरत
कहीं से एक-दूसरे से अलग नहीं दिखाई पड़ती थी
अब जान लेते हैं कि
औरत की एक नहीं कई गलतियां हो सकती हैं

तीजन का सीना तान के ठसक भरी चाल से
चलना यह भी जता देता है कि दुख का
तंग आंगन भी
हरे-भरे बसंत की संभावना रखता है
इतना खोजने के बाद हमें
इतिहास का सच तीजन की भाव-भंगिमा में मिलता है
इस सफल पड़ताल से सबक लेकर हम आगे से
इतिहास की कारगुजारियां
वर्तमान के कलाकारों में ही ढूंढेंगे!