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पक्षी दिन / केदारनाथ अग्रवाल

मौन पक्षी-सा

बड़ा दिन

नीम पर

बैठा रहा,

मारने पर भी

बड़ा ढेला,

उड़ा पक्षी नहीं,

नीम ने भी तो

नहीं नीचे ढकेला,

आह !

यह कितना अकेला,

निलज,

नीघस,

आज का दिन !