भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पच्छाण / सुरेश स्नेही

Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:45, 18 फ़रवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेश स्नेही |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खाण-पीण मा रस्याण
अर मिट्ठू बोन्नू बच्याण
अपड़ा माटै की मट्याण
यच्च मेरा गौं-गौळै पच्छाण।

भूयां मकौ डिसाण
ठण्ड्यूं मा डिकाण
चुळै खान्द्यू सिर्वाण,
यच्च मेरा गौं-गौळै पच्छाण।

घ्यू-दूद मा मख्याण
दाल-भातै जल्याण
सपोड़ा-सपोड़िकि खाण
यच्च मेरा गौं-गौळै पच्छाण।

ग्यों-जौ कि नवाण
घस्या चैक-खल्याण
मयालु मनखि पराण
यच्च मेरा गौं-गौळै पच्छाण।

खटै मा खट्याण
माच्छों की मच्छल्याण
धै लगैकि भट्याण
यच्च मेरा गौं-गौळै पच्छाण।

दाना-सयाणा सजाण
द्यो-देवतों का निसाण
ढोल-दमों मा मण्डाण
यच्च मेरा गौं-गौळै पच्छाण।