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पछताना रह जायेगा / त्रिलोक सिंह ठकुरेला

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पछताना रह जायेगा, अगर न पाये चेत।
रोना धोना व्यर्थ है, जब खग चुग लें खेत॥
जब खग चुग लें खेत, फसल को चौपट कर दें।
जीवन में अवसाद, निराशा के स्वर भर दें।
'ठकुरेला' कविराय, समय का मोल न जाना।
रहते रीते हाथ, उम्र भर का पछताना॥