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पटिया सँभारऽ लाढ़ो, सिथिअहि टोना / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

इस गीत में दुलहिन को साज-शृंगार तथा नयनों को सँभाल कर रखने का निर्देश किया गया है; क्योंकि दुलहे को टोना लग जाने का भय है। दुलहे को तो सास, सलहज, साली आदि का टोना लगेगा, जो उसके लिए सुहाग के दोने के सदृश फलदायक होगा।

पटिया<ref>माँग के दोनों ओर सजाकर बैठाया हुआ बाल</ref> सँभारऽ<ref>सँभालो</ref> लाढ़ो<ref>लाड़ली</ref>, सिथिअहिं<ref>माँग में बालों को सँवारकर बनाई हुई रेखा, सीमन्त</ref> टोना।
अयत<ref>आयगा</ref> लखपतिया बर, कौने मारलक<ref>मारा</ref> टोना॥1॥
अयत हजरिया बर, कौने मारलक टोना।
सासु मारलक टोना, सरहोजी<ref>सलइज</ref> मारलक टोना।
एहे<ref>यही</ref> टोना बनतै<ref>बनेगा</ref> पूता, सोहाग के<ref>सुहाग का</ref> दोना॥2॥
मुँहमा सँभारऽ लाढ़ो, अँखियाहिं<ref>आँख में</ref> टोना।
अयत कवन पूत, कौने मारलक टोना॥3॥
सारी<ref>साली</ref> मारलक टोना, सरहोजी मारलक टोना।
एहे टोना बनतौ पूता, सोहाग के दोनो॥4॥

शब्दार्थ
<references/>