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"पण थूं / इरशाद अज़ीज़" के अवतरणों में अंतर

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वाह, थारी मुळक
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साच तो आ है 
जे थूं अेकर फेरूं मुळक देवै
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कै थारा सबद कविता नीं
तो म्हैं संसार रा सगळा
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भावां रो भतूळियो मांडै
माणक-मोती
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थारै मांयली घिरणा रो ज्हैर
थारै ऊपर वार दूं
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थारी भासा री पिछाण है
 
+
कविता बो ईज लिख सकै
मुळक!
+
जिणरी निजरां मांय
अेकर तो मुळक
+
दूजां री पीड़
जीसा कैयो हो कै  
+
आपरी पीड़ ज्यूं लागै
बरसां पैलां
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पण थारै मांय  
थारो मुळकणो
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बै बीज ई नीं है  
सूखतै खेतां नै हर्या
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जिका कविता नैं जलम देवै
अर दम तोड़तै मिनखां-डांगरां नैं
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जिको चोखो मिनख नीं होय सकै
जीवण रो वरदान दियो हो
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बो चोखो कवि कियां हुवैला!
 
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देख टाबरां री टोळी
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बीं री आंख्यां मांय  
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थारा ईज सुपना है  
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इणां रा खिलता उणियारा
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कठैई कुमळाय नीं जावै!
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17:04, 15 जून 2020 के समय का अवतरण

साच तो आ है
कै थारा सबद कविता नीं
भावां रो भतूळियो मांडै
थारै मांयली घिरणा रो ज्हैर
थारी भासा री पिछाण है
कविता बो ईज लिख सकै
जिणरी निजरां मांय
दूजां री पीड़
आपरी पीड़ ज्यूं लागै
पण थारै मांय
बै बीज ई नीं है
जिका कविता नैं जलम देवै
जिको चोखो मिनख नीं होय सकै
बो चोखो कवि कियां हुवैला!