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पतझड़ के विरुद्ध / स्वरांगी साने

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सुनो बड़ !

तुम्हें पूजती हैं औरतें इस मुल्क की
और तुम
पूरी करते हो
सबकी मनौतियाँ

इतना तो बताओ
तुमने कहाँ से माँगी मनौती
पतझड़ के विरुद्ध
हर बार हरे होने की।