Last modified on 30 नवम्बर 2016, at 18:18

पतझर / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो

यै पतझर के हवाँ छुअलकै भीतर तक
ई पतझर के मौसम सगरो छैलोॅ छै!

झरलै सबटा खोॅर घोॅर सब ठूँठ भेलै
चेहरा अजब उदास मलिन छै गामोॅ के
ई नै समझोॅ यै पतझर के मौसम में
झरलै खाली पत्ता महुआ-आमोॅ के।

रोगनी गेलै बिलाय, ओप सब दूर भेलै
बुढ़वा-जुआन-बच्चा-बच्चा कुम्हलैलोॅ छै।

कोड़रा-करमी के साग भाग मानी-मानी
नाँची-नाँची केॅ बुतरू सब चभलाबै छै
सूनोॅ देहरो पर बिना काम बैठी-बैठी
घर के मलकिनियाँ भुखलोॅ पहर गमाबै छै
अँचरा-अँचरा केॅ आय उघारै छै पछियाँ
सूनोॅ निसंठ सब एक्को नै हरियैलोॅ छै।

रासन के दोकान बिना गेहूँ-चावल
भरलोॅ छै जैहना बाग निपत्तें ठारोॅ सें
छुच्छोॅ छै सौंसे शहर-मुहल्ला गली-गली
सब चीज अलोपित मँहगी के बाजारोॅ सें।
सब नेता-पंडित असली बाट भुलाय गेलै
सूखा पत्ता रं मंसूबा छितरैलोॅ छै।