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पता नहीं / संतोष कुमार चतुर्वेदी

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रंगों के भूगोल में
डूबे थे कई रंग
काग़ज़ पर
दिख रहे थे
वे ख़ूबसूरत

लेकिन ......
अता पता नहीं था
तो केवल

उँगलियों का
ब्रश का
पानी का