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पति पढ़ण चले / खड़ी बोली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कम उम्र का अधपढ़ा पति
पति पढ़ण चले ये वे गए स्कूलों बीच
परचा भूल गए मास्टर नै मारा रूल ।
पति पढ़ण चले ये वे गए स्कूलों बीच…
पति रोवण लगे ये वे आए गोरी पास
-मास्टर ! क्यूँ मारा रे मेरा याणा –सा भरता
र पति पढ़ण चले ये वे गए स्कूलों बीच…
बेब्बे यूँ मार्या ये कि नौंवीं हो गया फ़ेल ।
पति पढ़ण चले ये वे गए स्कूलों बीच…
-मास्टर यूँ न जाणै ओ ,तेरे से ज्यादा ज्ञान
मैं तो आप पढ़ा लूँगी ,हो दसवीं करादूँ पास
पति पढ़ण चले ये वे गए स्कूलों बीच…
पति पढ़ण चले वे आए गोरी पास
हरफ़ भूल गए वो गोरी नै मारी लात
पति पढ़ण चले ये वे गए स्कूलों बीच…
पति रोवण लगे ये वो आए अम्मा पास
बेट्टा चुप रह्वो रे, बहुओं का आग्या राज ।
पति पढ़ण चले ये वे गए स्कूलों बीच…


(पढ़ाई पूरी किए बिना शादी कर लेने से क्या दुर्गति होती है ,इस गीत में सहज भाव से बताया गया है ।पत्नी पढ़ी –लिखी है। वह पति को खुद पढ़ा लेने की ज़िम्मेदारी लेती है पर सफल नहीं हो पाती है)