Last modified on 11 जून 2016, at 07:45

पद-1 / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:45, 11 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ' |अनुवा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हमरा आपनोॅ शरणियाँ गुरू राखी लिहोॅ ।
जेना राखभोॅ, वोन्हैं रहभै, भक्ति-भाव आरू सेवा करवै
रोज पैवै तोर दर्शनियाँ, राखी लीहोॅ ।
जनम-जनम सें भटकत रहलौं, पइलौं दुख अपार
अबकी बेरिया तोरोॅ कृपा भेलै, अइलौं तोर शरणियाँ राखी लिहोॅ ।
एक्के विनती हमरोॅ प्रभुजी राखोॅ आपनोॅ वचनियाँ, राखी लिहोॅ ।