तितली के
पर सहलाते
उसकी उँगलियों की पोरों पर
रंग आ जाते हैं
उन्मत्त-सा फिर-फिर
और उसकी हथेली पर
रह जाता है
बुच्चा-सा इक जीव
तितली के
पर सहलाते
उसकी उँगलियों की पोरों पर
रंग आ जाते हैं
उन्मत्त-सा फिर-फिर
और उसकी हथेली पर
रह जाता है
बुच्चा-सा इक जीव