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"पलकों ने चुम्बन के गीत सुने / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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चुम्बन के गीत सुने
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साँसों से गले मिलीं
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नस-नस में डूब गया
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हाथों ने
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और त्वचा ने सीखा
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सिहरन के वस्त्र बुने
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मेघों से
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बरस पड़ी मधु धारा
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हवा मुई
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पी-पीकर बहक गई
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बाँसों के झुरमुट में
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चाँद फँसा
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काँप-काँप
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तारे गिर पड़े कई
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रात नये सूरज की
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कथा गुने
 
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22:08, 21 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

पलकों ने
चुम्बन के गीत सुने
आँखों ने
ख़्वाबों के फूल चुने

साँसें यूँ
साँसों से गले मिलीं
अंग-अंग
नस-नस में डूब गया
हाथों ने
हाथों से बातें की
और त्वचा ने सीखा
शब्द नया

रोम-रोम
सिहरन के वस्त्र बुने

मेघों से
बरस पड़ी मधु धारा
हवा मुई
पी-पीकर बहक गई
बाँसों के झुरमुट में
चाँद फँसा
काँप-काँप
तारे गिर पड़े कई

रात नये सूरज की
कथा गुने