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पलटू राम के किस्से / लक्ष्मीकान्त मुकुल

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छरबेंगा से भी अधिक
पलटी मारने में माहिर हैं पलटू राम
अपनी प्रेमिका सिखाते हैं बारंबार कसमें
सात जन्मों तक साथ निभाने का
समयांतराल में वे तलाशने में
भीड़ जाते हैं अन्य किस्म की प्रेम बालाएँ

कहा था घाघ कवि ने अपनी कविताई में
कि पेड़ पर गिरगिट को उलटे चढ़ते हुए देखो
तो जान लेना कि तुरत होगी झमाझम बारिश
पलटू राम अगर कर रहे होंगे सुंदरता पर बातें
तब जाहिर है कि वे विषयांतर वाले
किसी प्रेम कथा का नया मोड़ दे रहे हैं

कॉल टू राम की चहेतों की कमी नहीं हमारे इलाके में उनके आगमन की प्रतीक्षा में
पलक पावरे बिछाए बैठे रहते हैं कई लोग

वाम हों या दक्षिणपंथी
मंडल वाले हों या कमंडल वाले
सबकी प्रिय हैं पलटू राम
वे चारदीवारी को फांद कर पहुँचते हैं जिस हिस्से में वहाँ फहराए जाते हैं विजय के पताके
उत्सव-उल्लास के सजग पैरोकार हैं वे

हमारी जीवन के हरेक साल में
आती हैं छह ऋतुएँ लेकर मौसमी खुशियाँ
समय की टभकते जख्मों के साथ
माहिर मौसम विज्ञानी हैं पलटू राम
हवा कि दिशा को देख कर मुड़ जाते हैं राहें
तिलचट्टे जैसा
सीलन भरी दीवाल को जकड़ने के लिए।