पसीने की
पहली बूँद के साथ
माथे से फिसली एक कविता
और हवा के झोंके से सूख गई ।
आगे
हर बार चलते हथौड़े से
मज़दूर के माथे से
ढुलका पसीना ।
शाम
जब वह
थककर घर लौटा
कविता से नहाया हुआ था ।
पसीने की
पहली बूँद के साथ
माथे से फिसली एक कविता
और हवा के झोंके से सूख गई ।
आगे
हर बार चलते हथौड़े से
मज़दूर के माथे से
ढुलका पसीना ।
शाम
जब वह
थककर घर लौटा
कविता से नहाया हुआ था ।