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पहचान / सरस्वती रमेश

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सुनो!
सांवली रंगत वाली लड़कियों
तुम्हारे गालों में
गुलाब के फाहे ना हो तो
तुम मलाल ना करना

दुख ना करना कि तुम
गहरी आंखों, रेशमी बालों,
या गुलाबी होठों की स्वामिनी ना हुई।

और गठीली देहवालियों
तुम भी सुनो!
अपनी मजबूत और कठोर
कलाइयों को
वितृष्णा से कभी मत देखना

अपनी उंगलियों की हठीली गांठों
से रुसवाई न करना
छरहरी देहवालियों को देख
हीनता से मत भर जाना।

और सुनो!
खुरदरी, दागभरी त्वचा वाली लड़कियों
स्पॉटलेस ग्लो के चक्कर में
खुद को ना भुला बैठना

बेलौस देहवालियों
तुम भी सुनो!
 खुद से प्रेम करना सीखो
बिल्कुल उसी नैसर्गिकता में
जैसे ईश्वर ने रचा है

जैसे प्रकृति
पृथ्वी के जर्रे-जर्रे से करती है प्रेम
सहज और संतुलित

क्योंकि
ये सारी कमियाँ
दरअसल कमियाँ है ही नहीं

ये हमें कहीं से भी
किसी मायने में
कमतर इंसान नहीं बनाती।

जो किताबें कहती हैं
तुम्हारी जैसी देह को
कुरूप और बदसूरत
उन किताबों को
फाड़ कर फेंक दो

जिनकी आंखे नहीं देख सकती
तुम्हारी स्वाभाविकता की सुंदरता
उनसे किनारा कर लो।

क्योंकि
तुम सुंदर हो
दुनिया यह जाने, स्वीकारे
उससे पहले
तुम्हें जानना जरूरी है
तुम्हें खुद ही तय करना है
सुंदर या असुंदर होना।