Last modified on 12 सितम्बर 2023, at 19:18

पहले अपना चेहरा रख / डी. एम मिश्र

पहले अपना चेहरा रख
फिर कोई आईना रख।

हर इन्साँ में कमियाँ हैं
मगर इरादा अच्छा रख।

सहरा भी सूखा न रहे
पानी आँख में इतना रख।

सूरज उगने वाला है
खिड़की का मुँह सीधा रख।

देख मगर उन तारों को
लक्ष्य हमेशा ऊँचा रख।

क्या रक्खा मंदिर मस्जिद में
घर में ईश्वर अल्ला रख ।

कुन्दन भी तारीफ़ करे
ख़ुद को इतना सच्चा रख।

लेागों की बातें भी सुन
लेकिन निर्णय अपना रख।