पहले जनाब कोई शिगूफ़ा उछाल दो।
फिर कर का बोझ कौम की गर्दन पे डाल दो।
रिश्वत को हक समझ जहाँ ले रहे हों लोग।
है और कोई मुल्क तो उसकी मिसाल दो।
औरत तुम्हारे पाँव की जूती की तरह है,
जब बोरियत महसूस हो घर से निकाल दो।
चीनी नहीं है घर में लो मेहमान आ गए,
महंगाई की भट्टी पे शराफत उबाल दो।