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पहले तो मेरे दर्द को अपना बनाइए / गुलाब खंडेलवाल


पहले तो मेरे दर्द को अपना बनाइए
फिर जो भी सुनाना हो, ख़ुशी से सुनाइए

ख़ुशबू न वह मिटेगी जो दिल में है बस गयी
जाकर कहीं भी प्यार की दुनिया बसाइए

पलकों की ओट में कोई दिल भी है बेक़रार
मुँह पर भले ही बेरुख़ी हमसे दिखाइए

कुछ मैं भी अपने आप को धीरज सिखा रहा
कुछ आप भी तो ख़ुद को तड़पना सिखाइए

मुस्कान नहीं होँठों पर, आँखें भरी-भरी
सौ बार आइये मगर ऐसे न आइए

उड़िए सुगंध बनके हवाओं में अब, गुलाब!
निकले हैं बाग़ से तो ग़ज़ल में समाइए