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पाँच क्षणिकाएँ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र

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चर्बी

वो चर्बी
जिसकी तुम्हें न अभी जरूरत है
न भविष्य में होगी
वो किसी गरीब के शरीर का मांस है

सूरज

धरती के लिए सूरज देवता है
उसकी चमक, उसका ताप
जीवन के लिए एकदम उपयुक्त हैं
कभी पूछो जाकर बाकी ग्रहों से
उनके लिए क्या है सूरज?

सदिश प्रेम

केवल परिमाण ही काफ़ी नहीं है
आवश्यक है सही दिशा भी
प्रेम सदिश है

प्रेम

प्रेम एक अंधा मोड़ है
जिससे गुजरते हुए जरूरी होता है
अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए धीरे धीरे चलना

हीरा

अगर वो सचमुच हीरा है
तो कभी न कभी
किसी न किसी जौहरी की नज़र उस पर पड़ ही जायेगी
किंतु अगर वो हीरा नहीं है
तो एक न एक दिन
सबको ये बात पता चल ही जायेगी