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पाँच जून / देवानंद शिवराज

मन मा बहुत दुख पइली
कि छुटल देश हिन्दुस्तान
गाँव, सहेलियाँ, भाई बहना
छुटल अम्मी जान
कि छुटल देश हिन्दुस्तान।
गली गाँव अरकाठी घूमे बोले श्रीराम टापू महान
चलो वहाँ चाँदी के लोटे में पीना पानी, सब मान
और करना सोनो की थाली में निसदिन तू खान पान
कि छुटल देश हिन्दुस्तान।
इ सुन खुशिया लौटे मन में जइबे हम टापू श्रीराम
छूटा जहाज, छूटा सरहद भारत मैया के मान जान
इस जहाज में बैठे कबीर-पंथी, हिन्दू, मुसलमान
आपस में सब रोवत रहले आँसू न ले रुके का नाम
कि छुटल देश हिन्दुस्तान।
कितने उतरे बीच समंदर डमरा पहुँच गए कुछ ठान
आपस में सब बिछड़ गए कइसे करिहौ उनको बखान
जब पहुँचे श्रीराम दीप पर देखली झाड़ी खेत खलिहान
कि छुटल देश हिन्दुस्तान।
पाँच बरस के गिरमिट काटे, गए बहुत लौट हिन्दुस्तान
पर जो बसे इस मुल्क में इस माटी को माई मान
पाँच जून परवासी दिवस, ना भूलो जब तक हैं प्रान
कि छुटल देश हिन्दुस्तान।