भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पाँच बधावा पिया न हो गढ़ रे सुहाना हो / निमाड़ी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''बधावा [बधाई गीत ]'''
+
{{KKGlobal}}
 +
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
 +
|भाषा=निमाड़ी
 +
}}
 +
'''बधावा [बधाई गीत ]'''<br>
  
 
पॉँच बधावा पिया न हो गढ़ रे सुहाना हो ,
 
पॉँच बधावा पिया न हो गढ़ रे सुहाना हो ,

20:53, 15 अगस्त 2008 के समय का अवतरण

बधावा [बधाई गीत ]

पॉँच बधावा पिया न हो गढ़ रे सुहाना हो ,

पॉँच बधावा जो आवत हम देख्या ...........

की प्य्लो बधावो पिया न हो ,

ससरा घर भेजो हो ,दुसरो बधावो सहोदर बाप घर |

की तिस्रो बधावो पिया न हो जेठ घर भेजो हो ,

चोथो बधावो सहोदर वीरा घर |

की पांच्वो बधावो पिया न हो कूख सुलेखनी ,

जिन्ना बतायो रे धन को सोय्लो ......

की अम्बा जो वन की पिया नहो,

कोयल बोल्या हो ,चलो सुआ चलो सुआ ,

अम्बा वन आमली |

की वर्स नी र्ह्य्सा पिया न हो ,

मास नी र्ह्य्सा हो

काचा ते वन फल गदराया |

की माची बसंत पिया न हो ,

मोठी बैण बोल्या हो छोटी बैण बोल्या हो,

चलो पिया चलो पिया ,

वीरा घर पावना ,

की वर्स नी र्ह्य्सा पिया न हो मास नी र्ह्य्सा

पिया न हो

आठ जो दिन का वीराजी घर पावना

की सोननो नी लयनो पिया न हो,रुप्पो नी लयनो हो,

छोटी भाव्जियारो ग्यनो चित्त लाग्यो |