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पांच बधावा म्हारे आविया मारूजी / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पांच बधावा म्हारे आविया मारूजी
पांचां री नवी-नवी भांत लसकरिया
दक्खन मत जावेजी, दक्खन की चाकरी या आकरी
निपट नरबदा रो घाट लसकरिया
थाने तो बाला लागे रोकड़ा मारूजी
म्हाने तो वाला लागो आप
पेलो बधावो म्हारे यां आवियो
भेजो ससराजी री पोल