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पांच बरस की ब्याह के उठ गए / हरियाणवी

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पांच बरस की ब्याह के उठ गए परदेस सुनो रै राजा भरथरी
बारह बरस में रै राजा बाहवड़े आए सैं बागां के बीच
सुनो रै राजा भरथरी
बागां के उठे रै जोगी चल पड़े आए हैं माता दरबार
सुनो रै राजा भरथरी
भिच्छा तै घालो री माता तावली जोगी खड़े तेरे बार
सुनो रै राजा भरथरी
भिच्छा तै घालूं रै जोगी तावली तेरी सूरत मेरा लाल
सुनो रै राजा भरथरी
भूली फिरै सै री माता बावली तूं सै जनम की बांझ
सुनो रै राजा भरथरी
माता ने छल कै जोगी चल पड़ा आया सै भाण के बार
सुनो रै राजा भरथरी
भिच्छा तै घालू रै जोगी तावली तेरी सूरत मेरा बीर
सुनो रै राजा भरथरी
भूली फिरै सै है भैणा बावली तूं सै जन्म की एक
सुनो रै राजा भरथरी
भैणां ने छल के जोगी चल पड़ा आया सै तिरिया के पास
सुनो रै राजा भरथरी
भिच्छा तै घालूं रै जोगी तावली तेरी सूरत मेरा नाथ
सुनो रै राजा भरथरी
भूली फिरै सै राणी बावली तूं सै फेरां की रांड
सुनो रै राजा भरथरी
गल मैं तै घालूं जोगी ओढण ईब चालूं तेरी साथ
सुनो रै राजा भरथरी
हाथ के तै बांधा रे जोगी कांगणा सिर कै तै बांधा मोड़
सुनो रै राजा भरथरी
रोवत बांध रे तिरिया कांगणा छीकत बांधा मोड़
सुनो रै राजा भरथरी