भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पानी बिन जमीन प्यासी, खेतों में भूख उदासी / गिरीश चंद्र तिबाडी 'गिर्दा'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरीश चंद्र तिबाडी 'गिर्दा' |संग्रह= }}‎ [[Category:कुमा…)
 
 
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
 
पानी बिन जमीन प्यासी, खेतों में भूख उदासी....।
 
पानी बिन जमीन प्यासी, खेतों में भूख उदासी....।
 
(ये है पानी की जमीन प्यासी)
 
(ये है पानी की जमीन प्यासी)
 +
 
लोहे का सर-पाँव काट कर, बीस बरस में हुये साठ के-२
 
लोहे का सर-पाँव काट कर, बीस बरस में हुये साठ के-२
 
अरे! मेरे ग्रामनिवासी कबीरा, झोपड़ पट्टी वासी।
 
अरे! मेरे ग्रामनिवासी कबीरा, झोपड़ पट्टी वासी।
 
पानी बिन......
 
पानी बिन......
 +
 
सोया बच्चा गाये लोरी (उलटबांसियाँ देखिये)
 
सोया बच्चा गाये लोरी (उलटबांसियाँ देखिये)
 
सोया बच्चा गाये लोरी, पहरेदार करे है चोरी।
 
सोया बच्चा गाये लोरी, पहरेदार करे है चोरी।
 
अरे! जुर्म करे है न्याय निवारण और न्याय करे है चोरी।
 
अरे! जुर्म करे है न्याय निवारण और न्याय करे है चोरी।
 
पानी बिन...
 
पानी बिन...
 +
 
बंगले में जंगला लग जाये (ये है भू माफिया तंत्र)
 
बंगले में जंगला लग जाये (ये है भू माफिया तंत्र)
 
बंगले में जंगला लग जाये और जंगल में बंगला लग जाए ।
 
बंगले में जंगला लग जाये और जंगल में बंगला लग जाए ।
 
अरे....बन बिल ऐसा लागू होगा, मरे भले बनबासी ।
 
अरे....बन बिल ऐसा लागू होगा, मरे भले बनबासी ।
 
पानी बिन....
 
पानी बिन....
 +
 
नल की टोंटी जल को तरसे, हवाघरों में पानी बरसे-२
 
नल की टोंटी जल को तरसे, हवाघरों में पानी बरसे-२
 
अरे! ये निर्माण किये अभियंता, मुआयना अधिशासी ।
 
अरे! ये निर्माण किये अभियंता, मुआयना अधिशासी ।
पंक्ति 28: पंक्ति 32:
 
ये निर्माण किये अभियंता, मुआयना अधिशासी ।।
 
ये निर्माण किये अभियंता, मुआयना अधिशासी ।।
 
पानी बिन....
 
पानी बिन....
 +
 
जो कमाये सो रहे फकीरा-२
 
जो कमाये सो रहे फकीरा-२
 
बैठे-ठाले भरे जखीरा।
 
बैठे-ठाले भरे जखीरा।

15:02, 2 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

पानी बिन जमीन प्यासी, खेतों में भूख उदासी,
यह उलटबासियां नहीं कबीरा, खालिस खेल सियासी।
पानी बिन जमीन प्यासी, खेतों में भूख उदासी....।
(ये है पानी की जमीन प्यासी)

लोहे का सर-पाँव काट कर, बीस बरस में हुये साठ के-२
अरे! मेरे ग्रामनिवासी कबीरा, झोपड़ पट्टी वासी।
पानी बिन......

सोया बच्चा गाये लोरी (उलटबांसियाँ देखिये)
सोया बच्चा गाये लोरी, पहरेदार करे है चोरी।
अरे! जुर्म करे है न्याय निवारण और न्याय करे है चोरी।
पानी बिन...

बंगले में जंगला लग जाये (ये है भू माफिया तंत्र)
बंगले में जंगला लग जाये और जंगल में बंगला लग जाए ।
अरे....बन बिल ऐसा लागू होगा, मरे भले बनबासी ।
पानी बिन....

नल की टोंटी जल को तरसे, हवाघरों में पानी बरसे-२
अरे! ये निर्माण किये अभियंता, मुआयना अधिशासी ।
पानी बिन.....
(ये जो राष्ट्र के अधिशासी हैं, देखिये आप)
ये निर्माण किये अभियंता, मुआयना अधिशासी ।।
पानी बिन....

जो कमाये सो रहे फकीरा-२
बैठे-ठाले भरे जखीरा।
भेद यही गहरा है कबीरा और दिखे बात जरा सी ।।
पानी बिन जमीन प्यासी, खेतों में भूख उदासी.........।।