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"पानी / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=सामान की तलाश / असद ज़ैदी
 
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जब तक में इसे जल न कहूँ
 
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मुझे इसकी कल-कल सुनाई नहीं देती
 
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मेरी चुटिया इससे भीगती नहीं
 
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मेरे लोटे में भरा रहता है अन्धकार
 
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पाणिनी भी इसे जल कहते थे
 
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पानी नहीं
 
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कालान्तर में इसे पानी कहा जाने लगा
 
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रघुवीर सहाय जैसे कवि  
 
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उठकर बोलेः
 
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"पानी नहीं दिया तो समझो
 
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हमको बानी नहीं दिया।"
 
हमको बानी नहीं दिया।"
 
  
 
सही कहा - पानी में बानी कहाँ
 
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वह जो जल में है।
 
वह जो जल में है।
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18:56, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

जब तक में इसे जल न कहूँ
मुझे इसकी कल-कल सुनाई नहीं देती
मेरी चुटिया इससे भीगती नहीं
मेरे लोटे में भरा रहता है अन्धकार

पाणिनी भी इसे जल कहते थे
पानी नहीं

कालान्तर में इसे पानी कहा जाने लगा
रघुवीर सहाय जैसे कवि
उठकर बोलेः
"पानी नहीं दिया तो समझो
हमको बानी नहीं दिया।"

सही कहा - पानी में बानी कहाँ
वह जो जल में है।