भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पान का पठयों दुलहे दुलेरूआ / बघेली

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पान का पठयों दुलहे दुलेरूआ कहना रह्याउ वेलमाय
की बेलम्या तुम राजा दरवरिया की बेलम्या ससुरार
ना हम बेलमेन राजा दरवरिया ना बेलमेन ससुरार
हम तो बेलमेन आजा बगैचा कोइली गहागह लेय
हम तो बेलमेन पिता के बगैचा जहां कोइली गहागह लेय
हम तो बेलमेन काका के बगैचा जहां कोइली गहागय लेय
हाथ कै हिरौधी मैं तोही देहों फंसिया कोइली पकरि लै आव
डर डर बउड़े फंसिया बेटउना पत पत कोइली लुकाय
कोइली पकरि के जंघ बैठाइन पूछैं कोइलिया से बात
काहे मंढाऊं तौर अंखना रे पखना काहे मढ़ाऊ तोर चोच
रूपवा मढ़ावा मोरे अखना रे पखना सोनवा मढ़ावा मोरी चोच