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पाप का पुण्य का आधार बना रक्खा है / आर्य हरीश कोशलपुरी

पाप का पुण्य का आधार बना रक्खा है
दुष्ट का देव का संसार बना रक्खा है

कोई पैदा नही होता यहाँ पापी होके
एक हालात ने बीमार बना रक्खा है

कर्मफल कुंडली क़ानून ही मजलूमों को
पुश्त से क़र्ज़ का हक़दार बना रक्खा है

गीत के ढेर ही लगते हैं यहाँ बेमौसम
क्षोभ ने पुस्तकी भंडार बना रक्खा है

बस वही सरहदों सीमाओं के रगड़े झगड़े
ख़ून ही पीने का व्यापार बना रक्खा है