भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पिकनिक / बालस्वरूप राही

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:11, 23 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालस्वरूप राही |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बाकी तो सब लगती झिकझिक,
सबसे अच्छी लगती पिकनिक।

बैठ मज़े से बस में जाते,
गाने गाते, शोर मचाते।

खाते-पीते, मौज उड़ाते,
गप्प मारते, जोक सुनाते।

करने जाते सैर-सपाटा,
मम्मी-डैडी को कर टाटा।