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पिताजी की गोदी बठी रनुबाई विनवऽ / निमाड़ी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पिताजी की गोदी बठी रनुबाई विनवऽ।
कहो तो पिताजी हम रमवा हो जावां।
जावो बेटी रनुबाई रमवा जावो,
लम्बो बजार देखि दौड़ी मत चलजो।
ऊच्चो वटलो देखि जाई मत बठजो,
परायो पुरूष देखी हसी मत बोलजो।
नीर देखी न बेटी चीर मत धोवजो,
पाठो देखि न बेटी आड़ी मत घसजो,
परायो बाळो देखी हाय मत करजो,
सम्पत देखी न बेटी चढ़ी मत चलजो।
विपद देखी न बेटी रड़ी मत बठजो,
जाओ बेटी रनुबाई, रमवा जावो।