भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पिया मुख थे चूता शराब-ए-मनव्वर / क़ुली 'क़ुतुब' शाह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पिया मुख थे चूता शराब-ए-मनव्वर
पिला यक दो प्याले हमन साक़ी भर भर

मुंजे आ कोईलाँ की करसे ना तासीर
तेरे इश्क की आग का हूँ समंदर

बराहीम का क़िस्सा पांचिया है जग में
नको लियाओ भी कोई कहानी आज़र

इश्क के मिनारे ऊपर ज्यूँ व दिल सूँ
मानी कहे बाँग अल्लाहु अकबर