Last modified on 26 जनवरी 2010, at 20:48

पुरानी यादें-3 / मनीषा पांडेय

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:48, 26 जनवरी 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पुराना घाव बनकर यादें
रिसती रहती हैं दिन-रात
हलक में अटकी पड़ी रहती हैं सालों-साल
न उगली जाती हैं, न निगली