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उस बन रही इमारत से दूर
पहुँचे जब कुछ मज़दूर
वहाँ मिली उन्हें कुछ खाइयाँ
उस पुराने युद्ध की परछाइयाँ
ओ माँ चीन! वहाँ
गहरी झुर्रियाँ थी तेरे माथे पर
लड़ाई के गड्ढे थे पुराने
इमारत के ऊबड़-खाबड़ अहाते पर
जिसे कभी तेरे बेटों ने
था अपने ख़ून से सींचा
अब खिलेंगे रंग-बिरंगे फूल
उस जख़्मी धरती पर
अब बनाया जाएगा वहाँ
फूलों का बगीचा
रूसी भाषा से रूपांतरण : जनविजय