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पुष्प की अभिलाषा / माखनलाल चतुर्वेदी
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12:28, 9 जुलाई 2013
चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर, हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के
शिर
सिर
पर,
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ!
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
Sharda suman
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