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पूरा-आधा / जोशना बनर्जी आडवानी

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आधी तय की हुई मंज़िल
आधी पढ़ी हुई किताब
आधा सिमटा हुआ बिस्तर
आधी रात की आधी नींद
मन मे आधा उपजा विद्रोह
प्रेमी की आधी खींची साँस
बाँट के खाई हुई आधी रोटी
सिरधुनता आधा बचा आदमी
सोच मे नीचे लुढ़की आधी गर्दन
आधे जीवन मे आधी मृत्यु की खड़खड़
कविता लिखने को मिला एक टुकड़ा का
"पूरा" होना बड़प्पन नही
"आधा" रह जाना ही शिष्टता है