"पूरा दुःख और आधा चाँद / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर
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− | पूरा | + | पूरा दुख और आधा चाँद |
− | हिज्र की | + | हिज्र की शब और ऐसा चाँद |
− | किस | + | दिन में वहशत बहल गई |
− | + | रात हुई और निकला चाँद | |
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+ | किस मक़्तल से गुज़रा होगा | ||
+ | इतना सहमा सहमा चाँद | ||
यादों की आबाद गली में | यादों की आबाद गली में | ||
− | घूम रहा है | + | घूम रहा है तन्हा चाँद |
− | मेरे | + | मेरी करवट पर जाग उठ्ठे |
+ | नींद का कितना कच्चा चाँद | ||
+ | |||
+ | मेरे मुँह को किस हैरत से | ||
देख रहा है भोला चाँद | देख रहा है भोला चाँद | ||
इतने घने बादल के पीछे | इतने घने बादल के पीछे | ||
− | कितना | + | कितना तन्हा होगा चाँद |
− | इतने | + | आँसू रोके नूर नहाए |
+ | दिल दरिया तन सहरा चाँद | ||
+ | |||
+ | इतने रौशन चेहरे पर भी | ||
सूरज का है साया चाँद | सूरज का है साया चाँद | ||
जब पानी में चेहरा देखा | जब पानी में चेहरा देखा | ||
− | + | तू ने किस को सोचा चाँद | |
− | बरगद की | + | बरगद की इक शाख़ हटा कर |
− | जाने | + | जाने किस को झाँका चाँद |
− | रात के शाने पर | + | बादल के रेशम झूले में |
+ | भोर समय तक सोया चाँद | ||
+ | |||
+ | रात के शाने पर सर रक्खे | ||
देख रहा है सपना चाँद | देख रहा है सपना चाँद | ||
− | सहरा सहरा भटक रहा है | + | सूखे पत्तों के झुरमुट पर |
− | अपने | + | शबनम थी या नन्हा चाँद |
+ | |||
+ | हाथ हिला कर रुख़्सत होगा | ||
+ | उस की सूरत हिज्र का चाँद | ||
+ | |||
+ | सहरा सहरा भटक रहा है | ||
+ | अपने इश्क़ में सच्चा चाँद | ||
− | रात के शायद | + | रात के शायद एक बजे हैं |
सोता होगा मेरा चाँद | सोता होगा मेरा चाँद | ||
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11:21, 6 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
पूरा दुख और आधा चाँद
हिज्र की शब और ऐसा चाँद
दिन में वहशत बहल गई
रात हुई और निकला चाँद
किस मक़्तल से गुज़रा होगा
इतना सहमा सहमा चाँद
यादों की आबाद गली में
घूम रहा है तन्हा चाँद
मेरी करवट पर जाग उठ्ठे
नींद का कितना कच्चा चाँद
मेरे मुँह को किस हैरत से
देख रहा है भोला चाँद
इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चाँद
आँसू रोके नूर नहाए
दिल दरिया तन सहरा चाँद
इतने रौशन चेहरे पर भी
सूरज का है साया चाँद
जब पानी में चेहरा देखा
तू ने किस को सोचा चाँद
बरगद की इक शाख़ हटा कर
जाने किस को झाँका चाँद
बादल के रेशम झूले में
भोर समय तक सोया चाँद
रात के शाने पर सर रक्खे
देख रहा है सपना चाँद
सूखे पत्तों के झुरमुट पर
शबनम थी या नन्हा चाँद
हाथ हिला कर रुख़्सत होगा
उस की सूरत हिज्र का चाँद
सहरा सहरा भटक रहा है
अपने इश्क़ में सच्चा चाँद
रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चाँद