भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पूरा दुःख और आधा चाँद / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
{{KKCatGhazal}}
 
{{KKCatGhazal}}
 
<poem>
 
<poem>
पूरा दुःख और आधा चाँद  
+
पूरा दुख और आधा चाँद  
हिज्र की शब् और ऐसा चाँद  
+
हिज्र की शब और ऐसा चाँद  
  
किस मकतल से गुज़रा होगा
+
दिन में वहशत बहल गई
ऐसा सहमा सहमा चाँद  
+
रात हुई और निकला चाँद
 +
 
 +
किस मक़्तल से गुज़रा होगा  
 +
इतना सहमा सहमा चाँद  
  
 
यादों की आबाद गली में  
 
यादों की आबाद गली में  
घूम रहा है तनहा चाँद  
+
घूम रहा है तन्हा चाँद  
  
मेरे मुहँ को किस हैरत से  
+
मेरी करवट पर जाग उठ्ठे
 +
नींद का कितना कच्चा चाँद
 +
 
 +
मेरे मुँह को किस हैरत से  
 
देख रहा है भोला चाँद  
 
देख रहा है भोला चाँद  
  
 
इतने घने बादल के पीछे  
 
इतने घने बादल के पीछे  
कितना तनहा होगा चाँद  
+
कितना तन्हा होगा चाँद  
  
इतने रोशन चेहरे पर भी  
+
आँसू रोके नूर नहाए
 +
दिल दरिया तन सहरा चाँद
 +
 
 +
इतने रौशन चेहरे पर भी  
 
सूरज का है साया चाँद  
 
सूरज का है साया चाँद  
  
 
जब पानी में चेहरा देखा  
 
जब पानी में चेहरा देखा  
तूने किसका सोचा चाँद  
+
तू ने किस को सोचा चाँद  
  
बरगद की एक शाख़ हटाकर
+
बरगद की इक शाख़ हटा कर
जाने किसको झाँका चाँद  
+
जाने किस को झाँका चाँद  
  
रात के शाने पर सर रक्खे  
+
बादल के रेशम झूले में
 +
भोर समय तक सोया चाँद
 +
 
 +
रात के शाने पर सर रक्खे  
 
देख रहा है सपना चाँद  
 
देख रहा है सपना चाँद  
  
सहरा सहरा भटक रहा है
+
सूखे पत्तों के झुरमुट पर
अपने इश्क में सच्चा चाँद  
+
शबनम थी या नन्हा चाँद
 +
 
 +
हाथ हिला कर रुख़्सत होगा
 +
उस की सूरत हिज्र का चाँद
 +
 
 +
सहरा सहरा भटक रहा है  
 +
अपने इश्क़ में सच्चा चाँद  
  
रात के शायद एक बजे हैं  
+
रात के शायद एक बजे हैं  
 
सोता होगा मेरा चाँद  
 
सोता होगा मेरा चाँद  
 
</poem>
 
</poem>

11:21, 6 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

पूरा दुख और आधा चाँद
हिज्र की शब और ऐसा चाँद

दिन में वहशत बहल गई
रात हुई और निकला चाँद

किस मक़्तल से गुज़रा होगा
इतना सहमा सहमा चाँद

यादों की आबाद गली में
घूम रहा है तन्हा चाँद

मेरी करवट पर जाग उठ्ठे
नींद का कितना कच्चा चाँद

मेरे मुँह को किस हैरत से
देख रहा है भोला चाँद

इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चाँद

आँसू रोके नूर नहाए
दिल दरिया तन सहरा चाँद

इतने रौशन चेहरे पर भी
सूरज का है साया चाँद

जब पानी में चेहरा देखा
तू ने किस को सोचा चाँद

बरगद की इक शाख़ हटा कर
जाने किस को झाँका चाँद

बादल के रेशम झूले में
भोर समय तक सोया चाँद

रात के शाने पर सर रक्खे
देख रहा है सपना चाँद

सूखे पत्तों के झुरमुट पर
शबनम थी या नन्हा चाँद

हाथ हिला कर रुख़्सत होगा
उस की सूरत हिज्र का चाँद

सहरा सहरा भटक रहा है
अपने इश्क़ में सच्चा चाँद

रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चाँद