पूरा दुख और आधा चांद
हिज्र की शब और ऐसा चांद
इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चांद
मेरी करवट पर जाग उठे
नींद का कितना कच्चा चांद
सहरा सहरा भटक रहा है
अपने इश्क़ में सच्चा चांद
रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चांद
पूरा दुख और आधा चांद
हिज्र की शब और ऐसा चांद
इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चांद
मेरी करवट पर जाग उठे
नींद का कितना कच्चा चांद
सहरा सहरा भटक रहा है
अपने इश्क़ में सच्चा चांद
रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चांद